Sunday, November 18, 2012

कैसा अभागा हूँ मैं




कैसा  अभागा  हूँ  मैं 
जो  वायदा  कर  के  भी  निभा  नहीं  सकता 
खुशी  मिलने  पे  भी  जो  मुस्का   नहीं  सकता 

जिसे  गाना  ना   आये , वोह  तो  गायेगा  क्या 
में  गायक  होते  हुए  भी  जो  गा  नहीं  सकता 


इस  दुनिया  में  रहना  नहीं  चाहता 
इसे  छोड़  के  भी  जा  नहीं  सकता 

लोग  तो  करते  ही  हैं  कामना  स्वर्ग  मिलने  की 
मुझको  मिल  गया  है , फिर  भी  उस को  पा  नहीं  सकता 

प्यासा  ग़र जाये तो  जाये  पास  कूएँ  के 
मगर  जब  कुआँ  चल  के  पास  मेरे  आ  गया  है 

रस्सी  भी  है , और  है  बाल्टी  भी 
मग़र  फिर  भी  पानी  खींच  के 
अपनी  प्यास  बुझा  नहीं  सकता 

कैसा  अभागा  हूँ  मैं 

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