तेरे गेसुओं की
तेरे गुंचों की
तेरे लबों की
और तेरे बदन की
खुशबू
से महकता है चमन
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मुर्दा भी इस फिज़ा में
सांस लेने को मजबूर हो जाए
उसमे जान पड़ जाए
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फिर यह कहना सोचना
की जान और सांस में क्या चुनूं
बड़ा उलझा हुआ सवाल है ...............
जान हो तुम प्यार हो तुम
मेरी हर सांस के जिम्मेदार हो तुम
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