Sunday, June 15, 2014

मेरे बेटे की शादी ...निमंत्रण पत्र

ये कैसी माया है 
आपके ही कुछ 'लगते' की शादी में 
आपको बुलाया है 

कार्यक्रम सोचने व् 
निमंत्रण का फ़र्ज़ निभाया है 

वैसे आप कोई 'और' नहीं जो आपको बुलाया जाए 
और ना ही कोई गैर हो
जो भुलाया जाए 

आपका का सवयम का समारोह है
आप को निमंत्रण देना खल रहा है

मगर रस्मो रिवाज़ है
जो सदियों से चल रहा है

आपके अपने समारोह में शामिल होना
आपका धर्म है
धर्म ही नहीं फ़र्ज़ है

फिर भी फरियाद है
दरकिनार ना करना
समारोह के समय पर
और मसरूफियतों को
शुमार मत करना

आपके बिन
आपका आसन सूना खलेगा
बिन आपके दूल्हा
घोड़ी कैसे चढ़ेगा

इसलिए याद रखना
समय पर पहुंच जाना
देर मत करना
देर कर के मत सताना

No comments:

Post a Comment