Tuesday, September 4, 2012


मुहब्बत  के   सपने  दिखाते  बहुत  हैं 

     हमारा साथ अपनाओ 
      सपनों को हकीकत में बदलने का 
      नुस्खा हमारे पास है 

वो  रातों  में हम  को  जगाते   बहुत   हैं 
   
        हमारे पहलू मैं आओ 
      लोरी सुना के सुला देंगे 

मैं आँखों  में काजल  लगाऊँ तो  कैसे 
इन  आँखों  को  लोग  रुलाते  बहुत  हैं 

          आंसुओं को पी जायेंगे 
       रुलाने वालों को इतना रुलाएंगे
       कि वो रोना और रुलाना 
       दोनों भूल जायेंगे 
       फिर अपने हाथों से 
       पलकों को उठा  
       उँगलियों के पोरों से 
       खुद आप कि आँखों में हम 
       काजल सजायेंगे 


No comments:

Post a Comment