Thursday, September 6, 2012



पतंगें  उड़  रही  थीं
हाँ ...पतंगें  उड़  रही  थीं
काली , नीली , पीली , लाल
हरी , जामुनी  और  नारंगी

कि  पक्षी  जा  रहे  थे
हमें  यूं  बता  रहे  थे

यह  ज़िन्दगी
छोटी  सी  है
आखिर  सभी  ने  जाना

इस  दुनियां  में ...इस  घर  में
इस  गाँव  में ...नगर  में
'तनपुर' में
नहीं  है
किसी  का  भी
पक्का  ठिकाना

पतंगें  उड़  रही  थीं
वोह  ज्यूं  बता  रही  थीं
यूं  ही  आत्मा  उड़  जायेगी,
उस  दीप  में  मिल  जायेगी
बनाया  जिस-ने  सब-को  है
कि  मिलना  जिस-में  सब-को  है

कि  पक्षी  जा  रहे  थे
वोह  यूं  बता  रहे  थे

आज  यहाँ-कल  वहाँ
रहना  किस-को  है  यहाँ
क्षण-भंगुर  है  जहाँ

पतंगें  उड़  रही  थीं
कि  पक्षी  जा  रहे  थे

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