Saturday, September 8, 2012


निर्भय वक़्त की 'ऐश-ट्रे'
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मुझ में अपने अरमानों की
चिता जलाने का सहस है

मेरे गीतों के
प्रतीक , प्रतिमान ..............मूल्य
सब टूट गए हैं

निर्भय वक़्त की एश-ट्रे में
सुंदर सपनों की राख पड़ी है

सभी कल्पनायें झूठी थीं
बारी-बारी सब टूटीं

सब विश्वास खोखले निकले
सभी आस्थाएं झूठीं

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