खून दे के ली है आज़ादी माँ तेरी
बर्बाद हुई थीं बहुएं और मातायें घनेरी
उन के पतियों और पुत्रों के गुण नित्त हम गायेंगे
माँ तेरी इज्ज़त को चार चाँद लगायेंगे
अनाथ उनके थे पुत्र और पुत्त्रियाँ हुए
जिन्होंने तेरी खातिर माँ मौत के
होंठ थे छुए
इतनी महंगी आज़ादी को हम बर्बादी न बनायेंगे
माँ तेरी इज्ज़त को चार चाँद लगायेंगे

जो तूफ़ान ये चला है धोखे और फरेब का
बेडा गर्क इस ने कर दिया है कौम और देश का
इस तूफ़ान का बेडा गर्क हम ही कराएँगे
माँ तेरी इज्ज़त को .........................
जो यह बढ़ती महंगाई और घटती इंसान की कीमत है
बढ़ाती बेकारी और घटाती सच की फ़ितरत है
जो माँ हो सिर पे तेरा हाथ तो हम इस को मिटायेंगे
माँ तेरी इज्ज़त .................
फिर होगा यहाँ सुख और होगी सच्चाई
भागेंगे सभी दुःख और बाजेगी शैहनाई
जल्द इस देश मैं हम राम-राज्य लायेंगे
माँ तेरी ...............

नेता जो बैठे हैं जमाये कुर्सी पे आसन
इक -इक का चलता है बरसों तक शासन
इस उल्टी रीत को हम खत्म करायेंगे
माँ तेरी.....................
होती ज्यूं है घोड़े पर कसी हुई काठी
चलती है गरीब पर अमीर की यूं लाठी
इस लाठी के हम टुकड़े करवाएंगे
माँ तेरी .............

अधिक खोजें कर कर के हम
नए आयाम पायेंगे
मुश्किल हल जो परिवार नियोजन से न हो सकी
अधिक उत्पादन व चरित्र से
वोह गुत्थी सुलझाएंगे
माँ तेरी ......................

सारा अपव्यय रोक के हम पैसा देश का बचाएँगे
स्विस में पड़ा सारा धन वापिस यहाँ लायेंगे
और फिर वही धन देश की तरक्की में लगायेंगे
पिछड़े इलाकों को हम उन्नत बनायेंगे
माँ तेरी .......................

तन, मन और धन देश की सेवा में लगायेगे
जो वक़्त आन पड़ा तो जान भी लुटाएँगे
"घायल"' इस देश को हम स्वर्ग बनायेंगे
माँ तेरी इज्ज़त को चार चाँद लगायेंगे