इक दिल वालों की बस्ती थी
जहाँ चांद और सूरज रहते थे ...
कुछ सूरज मन का पागल था
कुछ चांद भी शोख चंचल था ...
बस्ती बस्ती फिरते थे
हर दम हँसते रहते थे ...
फिर इक दिन दोनो रूठ गए
और सारे सपने टूट गए ...
अब चांद भी उस वक़्त आता है
सूरज जब सो जाता है ...
बादल सब से कहते हैं
सूरज उलझा सा रहता है ...
चांद के साथ सितारे हैं
पर सूरज तन्हा रहता है ...
जहाँ चांद और सूरज रहते थे ...
कुछ सूरज मन का पागल था
कुछ चांद भी शोख चंचल था ...
बस्ती बस्ती फिरते थे
हर दम हँसते रहते थे ...
फिर इक दिन दोनो रूठ गए
और सारे सपने टूट गए ...
अब चांद भी उस वक़्त आता है
सूरज जब सो जाता है ...
बादल सब से कहते हैं
सूरज उलझा सा रहता है ...
चांद के साथ सितारे हैं
पर सूरज तन्हा रहता है ...
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