कोई तो हो ऐसा
जो सिर्फ मेरा हो ...
मांगो जो जान तो जान दे देंगे
अपना जो बना लोगे
तो जहां हम दे देंगे
बातों में उसकी खुशबु हो
दिल में उसके बसेरा हो
खुशबू ऐसी आयेगी
हमारे लबों के अल्फाजों से
जो दिल तो क्या
आत्मा में बस जायेगी
चाहे तो चाहत मेरी
मांगे तो मोहब्बत मेरी
तेरी चाहत चाहने वाला तो कोई
खुदगर्ज़ ही होगा
तेरी मोहब्बत माँगने वाला
कोई भिखारी से कम क्या होगा
हम तो वोह हैं
जो चाहत तेरी बन जायेंगे
माहौल ऐसा बना देंगे
कि
बिन मागे ही मोहब्बत तेरी पायेंगे
वो चाँद की चांदनी हो तो
चाँद सिर्फ मेरा हो
चाँद की चांदनी
तो सूरज से लिया उधार है
रवि यानी सूरज हूँ मैं
जो सिर्फ तेरा प्यार है
वो दिन की रौशनी हो तो
सूरज सिर्फ मेरा हो
दिन की रौशनी तो मुझ से
यानी
सूरज से होती ही है
पर इक बात यह भी है
कि
रोशनी ही रोशनी हो जायेगी
बस
"इश्क को दिल मैं बसा के देखिये "
वो फूलों की खुशबु हो तो
एहसास सिर्फ मेरा हो
खुशबू होने से
एहसास की क्या ज़रुरत है
खुद बा खुद
नाक में
नस-नस
में
बस
जायेगी
मज़ा तो तब आता है
जब ..कुछ भी ना हो
और एहसास हो जाए
वो रात का उजाला हो तो
चिराग सिर्फ मेरा हो
रात के उजाले मैं
चिराग क्या देगा ...
ज़रा सा हवा का झोंका
उस -को बुझा देगा
हम जुगनू हैं
जिसे ना तेल ना बाती चाहिए
हवा के झोंके
हमें बुझा ना सकें
मांगना ही है अगर खुदा से
तो मांग लो हम को
जीवन जग-मग ...जग-मग हो जाएगा
वो इश्क और मोहब्बत हो तो
दिल सिर्फ मेरा हो
दिल क्या ख़ाक इश्क करेगा
जो पल में टूट जाता है
इश्क मोहब्बत ...रूहानियत का
असल में
आत्मा से नाता है
वो पानी का छींटा हो तो
दरिया सिर्फ मेरा हो
जल में
मीन प्यासी ..
मुझे देख के
आवत हासी
कतरा-कतरा जल
दरिया बन जाता है
जो समंदर में समा कर
खारा पानी
कहलाता हैं
किसी की
प्यास नहीं बुझा पाता है
प्यार करना हो
चाहत पालनी हो
तो "ओस " की पालो
किसी ने कहा है
बूँद जो बन गयी मोती
वोह ओस की बूँद
ग़र मिल जाए
तो सारा सागर
भी
उसके आगे
नग्गन्य है
वो किस्मत की लकीर हो तो
हाथ सिर्फ मेरा हो .
कोई तो हो ऐसा ....
हाथों की लकीरों में
कोई तकदीर क्या लिखेगा
हम वोह हैं जो अपनी मर्ज़ी से
लकीरें बना सकते हैं
विक्रमादित्य की तरह
लिखी लकीरों को मिटा सकते हैं
अपनी तकदीर खुद बना सकते हैं
तुम -ने हाथ ही माँगा है
सारा का सारा जिस्म
तुम पे लुटा सकते हैं
No comments:
Post a Comment