कहते हैं
परवाने चले आते हैं
जलने शमां के पास
मगर किसी ने पूछा है हाल शमां का
जो जल्ती है तमाम रात
ता-उम्र जल कर भी
बुझती नहीं प्यास
कहते हैं जलने को परवाने चले आते हैं शमां के पास
बेकरारी के आलम में
परवाना तो जल ही जाता है
और हो जाता है खत्म
मगर सोचा है किसी ने क्या होता है मंज़र
बेचारी शमां के साथ
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