Monday, October 8, 2012

छोड़ के सपनों के आँचल को सत्य से नाता जोड़ना होगा



इस  दुनिया  में 
क्या  अपना  है 
जो  कुछ  भी  है 
सब  सपना  है 

रब  सपना   है 
जग  सपना  है 
तू  सपना  है 
नाम  भी  तेरा ..
तो  'सपना' है 
  
इस  दुनिया  में  क्या  अपना  है 

अपना  आप  यहाँ  सपना   है 
रसूल-ओ-पाक  यहाँ  सपना  है 
धर्म-ओ-बाप  यहाँ  सपना  है 

सपना  है  ईमान  यहाँ  पे 
सपना  वेद  कुरान  यहाँ  पे 
भाई  का  भाई  से  नाता 
भी  तो  या-रब  इक  सपना  है 

सच्चाई  भी  है  सपना 
शांति-अहिंसा  भी  सपना  है 
सब  सपना  है - सब  सपना  है 

अगर  हकीकत  पाना  चाहो 
सच्चाई  में  आना  चाहो 

तोड़ो  सपने 
छोड़ो  आँचल 
इन  सपनो  का 

सपनों  के  जंजाल  से  तुम-को 
बाहर  तक  तो  आना  होगा 
छोड़  के  सपनों  की दुनिया  ही 
सच्चाई   को  पाना  होगा 

इस  'दुनिया'  को  छोड़  के  ही  तू 
सही-गल्त पहचान  सकेगा 
वेद ...कुरान ...ओ ...धर्म...ईमान  की 
सच्ची  हकीकत  जान  सकेगा 

छोड़ो-छोड़ो  दामन  इनका 
ये  हैं  सपने -ये  हैं  सपने 
ये  वोह  सपने 
जो  ना  कभी  भी 
होते 
किसी  के  भी  अपने 

आज  नहीं  तो  कल  आखिर 
तुम -को  इन-को  छोड़ना  होगा 
छोड़  के  सपनों  के  आँचल  को 
सत्य  से  नाता  जोड़ना  होगा 

तो  फिर  आओ 
आज  ही  क्यूं  ना 
ये  सब  कारज  कर  डालें  हम 
बुजुर्गों  ने  भी  
फरमाया  है 
काम  आज  का 
कभी  भी  प्यारो 
कल  पर  बिलकुल  ना  डालें  हम 

.........आमीन 

No comments:

Post a Comment